इस मंत्र का करें जाप पूजा के समय जातक को
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता | नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः || मन्त्र का लगातार जाप करना चाहिए। इस मन्त्र का बगैर गिनती किए हुए जितना जाप कर सकते हैं उतना जाप करें और जब तक जाप करें तब तक कि आप थक न जाएं। जातक अपनी सुविधा अनुसार, षोडशोपचार पूजा भी कर सकता है अर्थात भिन्न-भिन्न 16 वस्तुओं से पूजा। याद रखें पूजा में श्रद्धा का महत्व है, जो वस्तुएं आप खरीदने में सक्षम नहीं हैं उनकी मानसिक कल्पना से मानसिक पूजा करना लाभकारी रहता है जैसे आप मन से कल्पना करें कि हमने सोने का कमल हाथ में ले लिया और हमने लक्ष्मी जी को अर्पण कर दिया, इस प्रकार की पूजा मानसिक पूजा कहलाती है।
मां की करें सेवा धन की प्राप्ति के लिए भाग्य और कर्म दोनों ही जिम्मेदार होते हैं। जो ग्रह प्रारब्ध अनुसार खराब हो अर्थात जन्मपत्री में ठीक ना हो और हानि दे रहे हो उसका भी लगातार वर्ष भर जाप करना चाहिए। इसके साथ ही कर्म के अनुसार आप अपने बुजुर्गों से अच्छी ऊर्जा ग्रहण कर सकते हैं। इस नवरात्रि में माता जी की कृपा से आप बहुत लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आप अपनी माता के चरण धोए, उनको बैठाकर उनका यथासंभव सम्मान करें और उनको सीधे हाथ की तरफ करते हुए सात परिक्रमा लगाइए। अपनी माता को दंडवत प्रणाम करिए, अपने किए गए पापों की क्षमा याचना करिए, और उनका आशीर्वाद स्नेह प्राप्त करिए। रोजाना सुबह अपनी माता जी के चरण छूकर उनका आशीर्वाद लीजिए, आपके दिन उसी दिन से सुधारने लगेंगे और आपकी इच्छाओं की धीमे-धीमे पूर्ति होने लगेगी।