आचार्य पंडित मुकेश त्रिपाठी बताते हैं कि भगवान शिव को अति प्रिय श्रावण मास 17 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। इससे एक दिन पहले पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगेगा। श्रावण मास में किया गया पूजन अर्चन और अभिषेक अनंत पुण्य देने वाला होगा। इस बार श्रावण मास में 22 व 29 जुलाई तथा 4 और 11 अगस्त को मिलाकर चार सोमवार पड़ेंगे। रक्षाबंधन का पर्व 15 अगस्त के दिन मनाया जाएगा और इसी दिन श्रावण मास समाप्त होगा।
आचार्य ने बताया कि 17 जुलाई से शुरू हो रहे सावन माह में शनि वक्री होंगे। इस महीने श्रावण मास में तेल और गुड़ का सेवन नहीं करना चाहिए। राहु और केतु सदैव वक्री रहते हैं। सूर्य और चंद्र कभी वक्री नहीं रहते। शनि के प्रकोप से बचने के लिए इस महीने तेल का त्याग करना होगा। आठ जुलाई से मंगल और 10 जुलाई से बुध अस्त होगा। ऐसी ग्रह स्थिति में श्रावण मास 17 जुलाई से शुरू होगा। सूर्य उत्तरायण से दक्षिण होंगे, इस अवधि में पूजन अर्चन विशेष फलदाई होगा।